Wednesday, 13 January 2021

काबील और हाबील वाकिया दुनिया का सबसे पहला हत्या

  काबील व हाबील


 कुरआन मजीद ने हज़रत आदम के इन दोनों बेटों का नाम जिक्र नहीं किया सिर्फ 'आदम के दो बेटे' कहकर मुज्मल छोड़ दिया है, अलबत्ता तौरात में उनके नाम ब्यान किए गए हैं। कुछ रिवायतों में इन दोनों भाइयों में अपनी शादियों से मुताल्लिन जबरदस्त इख्तिलाफ़ का जिक्र किया गया है। (इस मामले को ख़त्म करने के लिए हज़रत आदम ने यह फैसला फ़रमाया कि दोनों अपनी-अपनी कुरबानी अल्लाह के हुजूर में पेश करें। 





जिसकी कुर्बानी मंजूर हो जाए, वही अपने इरादे के पूरा कर लेने का हक़दार है। जैसा कि तौरात से मालूम होता है, उस ज़माने में कुर्बानी के कुबूल होने का यह इलहामी तरीका था कि नज़ व कुर्बानी की चीज किसी बुलन्द जगह पर रख दी जाती और आसमान से आग जाहिर होकर उसको जला देती थी। इस कानून के मुताबिक हाबील ने अपने रेवड़ में से एक बेहतरीन ढुंबा अल्लाह को नज़ किया और काबील ने अपनी खेती के ग़ल्ले में से रद्दी किस्म का ग़ल्ला कुर्बानी के लिए पेश किया। दोनों की अच्छी और बुरी नीयतों का अन्दाज़ा इसी अमल से हो गया। इसीलिए दस्तूर के मुताबिक आग ने आकर हाबील की नज़ को जला दिया और इस तरह कुरबानी कुबूल होने का शरफ़ उसके हिस्से में आया। काबील अपनी इस तौहीन को


किसी तरह बर्दाश्त न कर सका और उसने गैज़ व ग़ज़ब में आकर हबील से कहा कि मैं तुझको क़त्ल किए बगैर न छोडूंगा, ताकि तू अपनी मुराद को न पहुंच सके।




 हाबील ने जवाब दियाः मैं तो किसी तरह तुझ पर हाथ न उठाऊंगा, बाकी तेरी जो मर्जी आए, वह कर। रहा कुरबानी का मामला, सो अल्लाह के यहां नेक नीयत ही की नज कुबूल हो सकती है। वहां बद-नीयत की न धमकी काम आ सकती है और न बेवजह ग़म व गुस्सा और इस पर काबील ने गुस्से से बहुत ज़्यादा भड़क कर अपने भाई हाबील को मार डाला । कुरआन पाक में न शादी से मुताल्लिक इखिलाफ़ का जिक्र है और न इन दोनों के नामों का जिक्र है, सिर्फ़ कुरबानी (नज़) का जिक्र है और इस रिवायत से ज़्यादा काबील की लाश के दफ़न से मुताल्लिक यह इज़ाफ़ा है।




 क़त्ल के बाद काबील हैरान था कि इस लाश का क्या करे? अभी तक आदम की नस्ल मौत से दोचार नहीं हुई थी और इसीलिए हज़रत आदम ने मुर्दे के बारे में अल्लाह का कोई हुक्म नहीं सुनाया था। यकायक उसने देखा एक कौआ ने ज़मीन कुरेद-कुरेद कर गढ़ा खोदा। काबील इसे देखकर चेता कि मुझे भी अपने भाई के लिए इसी तरह गढ़ा खोदना चाहिए और कुछ रिवायतों में है कि कौवे ने दूसरे मुर्दे कौवे को उस गढ़े में छुपा दिया। काबील ने यह देखा तो अपनी नाकारा जिंदगी पर बेहद अफ़सोस किया और कहने लगा कि मैं इस जानवर से भी गया गुज़रा हो गया कि अपने इस जुर्म को छुपाने की भी अहिलयत नहीं रखता। शर्मिंदगी और अफ़सोस से सर झुका लिया और फिर उसी तरह अपने भाई की लाश को मिट्टी के हवाले कर दिया। इस वाकिए के बयान के बाद कुरआन पाक में आता है कि- 'इसी वजह से लिखा हमने बनी इसराईल पर कि जो कोई क़त्ल करे एक जान को विला एवज़ जान के, या फ़साद करने की ग़रज़ से तो गोया कल्ल कर डाला उन सव लोगों को और जिसने ज़िंदा रखा एक जान को तो गोया जिंदा कर दिया सब लोगों को। 

 इमाम अहमद ने अपनी मुस्नद में हजरत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद से एक रिवायत की है-- 'अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि दुनिया में जब भी कोई जुल्म से क़त्ल होता है तो उसका गुनाह हज़रत आदम के पहले बेटे (कावील) की गरदन पर ज़रूर होता है, इसलिए कि वह पहला आदमी है, जिसने जालिमाना क़त्ल की शुरूआत की और यह नापाक सुन्नत जारी की। 


इस 'बिदअत' (नए काम) का इक़दाम करेगा, तो बिदअत की बुनियाद रखने वाला भी बराबर उस गुनाह का हिस्सेदार बनता रहेगा और ईजाद करने वाला होने की वजह से हमेशा वाली जिल्लत और घाटे का हक़दार ठहरेगा। (नऊजु बिल्लाहि मिन जालि (हज़ आदम के इन दो बेटों का ज़िक्र सूराः माइदा में किया गया है।) : मुसन्निफ़ (लेखक) की तर्तीब के मुताबिक़ हज़रत आदम के सकिरे के बाद हजरत नूह का जिक्र किया जाता है।



No comments:

Post a Comment

Duniya Ki 3rd Sabse Badi Aur Aalishan Masjid

 Duniya Ki 3rd Sabse Badi Aur Aalishan Masjid Jo Alziria Ke Alzair Shahar Me Hai Jaha 70 Acre Me Banayi Gayi Hai Jaha 1Lakh 20 Hajar Log Nam...