फ़रिश्तों को सज्दे का हुक्म, शैतान का इंकार
अल्लाह तआला ने आदम को मिट्टी से पैदा किया और उनका खमीर तैयार होने से पहले ही उसने फ़रिश्तों को यह ख़बर दी कि वह बहुत जल्द मिट्टी से एक मख्लूक पैदा करने वाला है जो 'बशर' कहलाएगी और जमीन में हमराी खिलाफत का शरफ़ हासिल करेगी। आदम का ख़मीर मिट्टी से गूंघा गया और ऐसी मिट्टी से गूंधा गया जो नित नई तब्दीली कुबूल कर लेने वाली थी । जव यह मिट्टी पक्की ठीकरी की तरह आवाज देने और खनखनाने लगी तो अल्लाह तआला ने उस मिट्टी के पुतले में रूह फूंकी और वह एक ही वक्त में गोश्त-पोस्त, हड्डी-पुढे का जिंदा इंसान बन गया और इरादा, शऊर, हिस्स, अक्ल और विज्दानी जज़्बात व कैफियात का हामिल नजर आने लगा। तब फ़रिश्तों को हुक्म हुआ कि तुम उसके सामने सज्दे में गिर जाओ, फौरन तमाम फ़रिश्तों ने इशाद की तामील की, मगर इब्लीस (शैतान) ने घमंड और सरकशी के साथ साफ़ इंकार कर दिया।
सज्दे से इन्कार करने पर इब्लीस का मुनाज़रा अल्लाह तआला अगरचे गैब का इल्म रखने वाला और दिलों के भेदों तक को जानने वाला है और माजी, हाल और मुस्तक्बिल (भूत, वर्तमान, भविष्य) सब उसके लिए बराबर हैं, मगर उसने इम्
लिए इब्लीस (शैतान) से सवाल किया- 'किस बात ने झुकने से रोका, जबकि मैंने हुक्म दिया था?इब्लीस जवाब दिया
- इस बात ने कि मैं आदम से बेहतर हूं तूने मुझे आग से पैदा किय इसे मिट्टी से।
शैतान का मक्सद यह था कि मैं आदम से अफजल हूं, इसलिए कि मुझको आग से बनाया है और आग बुलन्दी और बरतरी चाहती है, और आदम 'खाकी मख्लूक' भला ख़ाक को आग से क्या निस्वत? ऐ अल्लाह फिर यह तेरा हुक्म कि नारी (नार यानी आग से बना हुआ) खाकी (खाद यानी मिट्टी से बना हुआ) को सज्दा करे, क्या इंसाफ के मुताबिक़ है? मैं तमाम ्हालतों में आदम से बेहतर हूं इसलिए वह मुझे सज्दा करे, न कि मैं उसके सामने सज्दा करूं? मगर बदबख्त शैतान अपने घमंड में चूर होने की वजह से भूल गया कि जब तुम और आदम दोनों अल्लाह की मख्लूक हो तो मख्लूक की हकीकत ख़ालिक़ से बेहतर, खुद वह मख्लूक भी नहीं जान सकती, व अपने घमंड और गुरूर में यह न समझ सका कि मर्तबा की बुलन्दी और पर उस माद्दे की बुनियाद पर नहीं है, जिससे किसी मख्लूक का ख़मीर तैयार किया गया है, बल्कि उसकी उन सिफ़तों पर है जो कायनात के पैदा करने वा ने उसके अन्दर रख दिए हैं। बहरहाल शैतान का जवाब, चूंकि घमंड और गुंरूर की जहालत प कायम था, इसलिए अल्लाह तआला ने उस पर वाजेह कर दिया कि जहालत से पैदा होने वाले घमंड व गुरूर ने तुझको इतना अंधा कर दिया है कि तू अपने पैदा करने वाले के हक़ और पैदा करने वाला होने की वजह से उसके एहतरा से भी मुन्किर हो गया इसलिए मुझको जालिम करार दिया और यह न समइ कि तुझको तेरी जहालत ने हक़ीक़त के समझने से आजिज़ बना दिया है, पर तू अब इस सरकशी की वजह से अबदी हलाकत का हकदार है और यही ते अमल का कुदरती बदला है।
Beshak
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