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 ٱلسَّلَامُ عَلَيْكُمْ 

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों बुजुर्गों अजीज साथियों हम आपको मरकत से जुड़ी हुई हर अपडेट देते रहेंगे और हमारे साइट पर बनी रहे

  हज़रात उमर में कम से कम तीन चिल्लों की दावत खूब जम कर दें, इसमें बिल्कुल न घबराएं । इसके बगैर जिन्दगियों के रुख न बदलेंगे, जिन अहबाब ने खुद अभी तीन चिल्ले न दिए हों वह भी इस नियत के साथ खूब जम कर दावत दें कि अल्लाह पाक इसके लिए हमें कुबूल फ़रमाए। 

गश्त का अमल इस काम में रीढ़ की हड्डी की सी अहमियत रखता है । अगर यह अमल सही होगा, · कुबूल होगा, दावत कुबूल होगी, दावत कुबूल होगी, दुआ क़ुबूल होगी, दुआ कुबूल होगी, हिदायत आएगी और गश्त कुबूल न हुआ तो दावत कुबूल न होगी, दावत कुबूल न हुई तो दुआ कुबूल न होगी, दुआ कुबूल न हुई तो हिदायत न आएगी। 

गश्त का मौजू यह है कि

 अल्लाह पाक ने हमारी दुनिया और आखिरत के मसाइल का हल हज़रत मुहम्मद सल्ल० के तरीके पर जिंदगी गुजारने में रखा है, इनके तरीके हमारी जिंदगियों में आ जायें। इसके लिए मेहनत की ज़रूरत है, इस मेहनत पर बस्ती वालों को आमादा करने के लिए गश्त के लिए मस्जिद में जमा करना है। नमाज के बाद एलान करके लोगों को रोका जाए। एलान कोई बस्ती का बाअसर आदमी या इमाम साहब करें तो ज्यादा मुनासिब है। वे अगर हम को कहें तो हमारे साथी एलान कर दें। फिर गश्त की अहमियत, जरूरत और कीमत बताई जाए, इसके लिए आमादा किया जाए। जो तैयार हों उनको अच्छी तरह आदाब समझाए जाएं। अल्लाह पाक का जिक्र करते हुए चलना है. निगाहें नीची हों, हमारे तमाम मसाइल का ताल्लुक़ अल्लाह पाक की ज़ात से है। इन बाज़ार में फैली हुई चीज़ों से किसी प्रसअले का ताल्लुक नहीं, चीजों पर निगाह न पड़े, ध्यान न जाए, अगर निगाह पड़ जाए तो मिट्टी के डले मालूम हों। हमारा दिल अगर इन चीजों की तरफ़ फिर गया तो जिन के पास जा रहे हैं उस का दिल इन चीजों से अल्लाह पाक की तरफ़ कैसे फिरेगा। क़ब्र का दाखिला सामने हो, इसी ज़मीन के नीचे जाना है, मिल-जुल कर चलें, एक आदमी बात करें, कामयाब है वह बात करने वाला जो मुख्तार बात करके आदमी को मस्जिद में भेज दे। भाई हम मुसलमान हैं, हम ने कलमा पढ़ा है, हमारा यकीन है कि अल्लाह पाक पालने वाले हैं, नफा व नुक्मान, इज्जत व जिल्लत अल्लाह के हाथ में है। अगर हम अल्लाह के हुक्म पर हुजूरे अकरम सल्ल. तरीके पर जिंदगी गुजारंगे तो अल्लाह पाक राजी होकार हमारी के जिदगी बना दगे। हम सब की जिंदगी अल्लाह पाक के हुकमो के मुताबिक़ हुजूरे अकरम सल्ल० के तरीके पर आ जाए। इसके लिए भाई मस्जिद में कुछ फ़िक्र की बात हो रही है । नमाज़ पढ़ चुके हो तो भी उठा कर मस्जिद में भेज दें, जरूरत हो तो आगे नमाज़ को भी मस्जिद में फौरी जाने का उन्वान बना लें। अल्लाह पाक का सबसे बड़ा हुक्म नमाज़ है, नमाज़ पढ़ेंगे अल्लाह रोजी में बरकत देंगे, गुनाहों को माफ़ कर देंगे, दुआओं को कुबूल फ़रमायेंगे। बशारतें सुनाई जाएं, वईदें नहीं। नमाज़ का वक्त हो रहा है मस्जिद में चलिए। 

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